मध्यप्रदेश के मांडू में ऐसे महल हैं, जिन्हें ऐतिहासिक प्रेम कहानियों के लिए आज भी रखा जाता है।
मध्यप्रदेश में ऐसे कई जगहें हैं, जो किसी रहस्य से कम नहीं है। देखा जाए, तो इन स्थानों को देखने के लिए वे पर्यटक सबसे ज्यादा आते हैं। ऐसी ही एक जगह है मांडू नगरी।
सिटी ऑफ़ जॉय के नाम से प्रसिद्ध 12 दरवाजों से महलों तक हरियाली से पटा बाज़ और रानी रूपमती के प्रेम का साक्षी अभेद्य गढ़ों का नगर, अकल्पनीय रानी रूपमती और बाजबहादुर के अमर प्रेम का साक्षी मन्दू नगरी मध्यप्रदेश के धार जिले में है।
बहुत सी ऐसी कई प्रेम कहानियां जो आज भी याद रखी जाती है :
विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में निवास मांडू को पहले शादियाबाद के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है खुशियों का नगर अंग्रेज तो अब यह भी सिटी ऑफ जाय के नाम से ही पुकारते हैं। मांडू में वास्तुकला की ऐसी बेजोड़ रचनाएं बिखरी पड़ी हैं, जो देश-दुनिया के लिए धरोहर हैं। इमारतें तब के शासकों की कलात्मक सोच, समृद्ध विरासत और शानो-शौकत का आईना है। मांडू को ऐसा अभय गढ़ भी माना जाता है जिसे शत्रु कभी भी नहीं पहचान पाते थे। राजपूत परमार शासक भी बाहरी आक्त्रमण से रक्षा के लिए मांडू को सुरक्षित किला मानते रहे।
यहाँ आने से कभी वंचित न रहे :
मुंबई-दिल्ली ट्रेक पर स्थित रतलाम रेलवे जंक्शन से भी यहाँ पहुंचने का सीधा रास्ता है। घुमावदार रास्तों से प्रवेशित पहाड़ी रास्तों से मांडू में प्रवेश करते ही विशाल दरवाजे स्वागत करते हैं। पाँच किमी। के दायरे में लगभग 12 प्रवेश द्वार निर्मित हैं। इन सुल्तान या दिल्ली दरवाजा प्रमुख माना जाता है। इसे मांडू का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। इसका निर्माण 1405 से 1407 के मध्य में हुआ था। इसके बाद आलमगीर दरवाजा, भगी दरवाजा, गाड़ी का दरवाजा, तारापुर दरवाजा दरवाजे आते हैं। काले पत्थरों से निर्मित इन दरवाजों के बीच से गुजरते हुए पर्यटक मांडू नगरी में प्रवेश करते हैं। इसके साथ हरियाली की चादर से ढंकी सुरम्य वादियों के बीच इतिहास की गवाह इमारतें एक के बाद एक सामने आती चली जाती हैं।) पर्यटन स्थल मांडू में कई प्रमुख स्थल हैं, लेकिन हर पर्यटक रानी रूपमती के महल जरूर जाता है। इसी महल के पास बाज बादल महल भी बना हुआ है। इसके अलावा, हिंडोला महल, जहाज महल, जामा मस्जिद, अशर्फी महल आदि स्थान प्रमुख हैं। मांडू का जैन तीर्थ भी ऐतिहासिक है। भगवान सुपार्श्वनाथ की पद्मासन मुद्रा में विराजित श्र्वेत वर्णी सुंदर प्राचीन प्रतिमा है। बताया जाता है कि 14 वीं शताब्दी में यह प्रतिमा की स्थापित की गई थी। मांडू में कई अन्य पुराने ऐतिहासिक महत्व के जैन मंदिर भी हैं, जिसके कारण यह जैन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थान है। रानी रूपमती का महल रानी रूपमती के महल मांडू की प्रमुख इमारतों में शामिल है। यहां आने वाले पर्यटक इस खूबसूरत इमारत को देखे बिना वापस नहीं लौटे। कहा जाता है कि 365 मीटर ऊंची खड़ी चट्टान पर स्थित इस महल का निर्माण बाजबहादुर ने रानी रूपमती के लिए इसलिए करवाया था, इसलिए वे सुबह उठने के बाद नर्मदा के दर्शन कर सकते हैं। रूपमती प्रतिदिन नर्मदा के दर्शन के बाद ही अन्ना-जल ग्रहण करती थीं। बादलों या कोहरे की वजह से कभी नर्मदा के दर्शन नहीं की स्थिति से सामना के लिए रूपमती महल में ही रेवा कुंड का निर्माण भी किया गया था, जिसमें नर्मदा का जल रहता था।
यह भी कहा जाता है कि सैनिकों के लिए मांडू की सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने के लिए इस महल का उपयोग किया जाता था। संगीत के भी दोनों बेहद शौकीन थे, इसलिए मांडू की फिजाओं में शाम और सुबह संगीत लहरियां तैरती रहती थीं। बाज़ का महल रूपमती महल के पास ही बाज़ महल है। इसका निर्माण 16 वीं शताब्दी में हुआ था। इस महल में विशाल आंगन और हॉल बने हुए हैं। यहां से मांडू का मनोविज्ञानम नजारा देखा जा सकता है। महल की खासियत यह है कि यहां के कुछ हाल इस तरह से बनाए गए हैं कि यदि सामान्य व्यक्ति भी गीत गुनगुनाता है तो दूसरे हाल में वह कर्ण प्रिय होकर गीत सुनाई देते हैं। जामा मस्जिद और अशर्फी महल जामा मस्जिद भी मांडू के विभिन्न स्थानों में शामिल है। इस विशाल मस्जिद का निर्माण होशंगशाह के शासनकाल में किया गया था। जामा मस्जिद की गिनती मांडू की महत्वपूर्ण धरोहरों के रूप में की जाती है। जान कहते हैं कि जामा मस्जिद विदेशी मस्जिदों की नकल है। मस्जिद के सामने एक और प्राचीन इमारत अशर्फी महल है। अशर्फी का आशय उसी सोने की मुद्रा से होता है, इस महल का निर्माण होशंगशाह खिलजी के उत्तराधिकारी मोहम्मद खिलजी ने मदरसे के लिए किया था। ये दोनों स्थान मांडू के ह्दय स्थल पर स्थित हैं। उनके सामने अब बस स्टैंड संचालित हो रहा है।
तैरता पानी में जहाज महल :
जहाज महल जहाज की आकृति में कपूर तालाब और मुंज तालाब के बीच बनी खूबसूरत इमारत है। इसका निर्माण 15 वीं शताब्दी में हुआ था। 100 मीटर से ज्यादा लंबाई वाली इस इमारत को दूर से देखने पर ऐसा आभास होता है मानों तालाब के बीच में कोई विशाल जहाज लंगर बनाया गया है। संभवत: इसीलिए इसे जहाज महल नाम मिला। माना जाता है कि जहाज महल में पानी के महत्व को भी तरजीह दी गई है। यहां ऐसी कई जल संरचनाओं के अवशेष आज भी मौजूद हैं, जो मांडू को जानना में अलग पहचान दिलाते हैं। होशंगशाह का मकबरा होशंगशाह का मकबरा भी इतिहास की धरोहरों में से एक है। यहां होशंगशाह की कब्र है, इसे भारत में मार्बल से निर्मित प्रथम कब्र माना जाता है। मकबरा अफगानी शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है। इसके गुंबज, बरामदे और मार्बल की जाली आदि की खूबसूरती को चार चांद लगाती हैं। यह देख लगता है कि मानो ताज महल की भावनाओं को बनाने की कोशिश की गई हो। अरशगशाह का मकबरा मुगल शासकों की विशेष इमारतों में शामिल है। हिंडोला महल हिंडोला महल भी मांडू के खूबसूरत महलों में से एक है। हिंडोला का अर्थ होता है झूला। इस महल की दीवारें कुछ झुकी होने से यह महल हवा में झुलता हिंडोला नजर आता है। हिंडोला महल का निर्माण ग्यासुद्दीन खिलजी ने 15 ईस्वी में सभा भवन के रूप में किया था। इसके सुंदर कॉलम इसे और भी खूबसूरती प्रदान करते हैं। इस महल के परिसर में प्राचीन चंपा बावड़ी है। इसका कलात्मक निर्माण देखते ही बनता है। इसमें नीचे उतरने के लिए व्यवस्थित रास्ता भी बनाया गया है। वैसे, अब नीचे जाने की इजाजत किसी को नहीं है। नीलकंठेश्र्वर महादेव और महल नीलकंठेश्र्वर महादेव मंदिर सुरम्य स्थान पर बना है। क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर बरबस खींच लेता है। शिवजी के मंदिर में पहुंचने के लिए कई सीढ़ी उतरकर पहुंचा जा सकता है। मंदिर के सौंदर्य को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। ऊपर वृक्षों से घिरे तालाब से जल की एक धारा नीचे मंदिर में शिवजी का अभिषेक करती रहती है।
मंदिर और महलों का संगम :
भगवान राम की चर्तुभूज प्रतिमा भी मांडू में विराजित है जो दुर्लभ और महत्वपूर्ण मानी जाती है। मंदिर के समीप निर्मित इस महल का निर्माण शाह बदगा खान ने अकबर की हिंदू पत्ती के लिए करवाया था। इसकी दीवारों पर अकबर कालीन कला के नमूने देखे जा सकते हैं। डायनासोर पार्क कुछ साल पहले मांडू में डायनासोर पार्क भी बनाया गया है। यह देखना भी अनूठा अनुभव है। यहां करोड़ों साल पुराने डायनासोर के जीवाश्म देखे जा सकते हैं और उनका इतिहास समझने का अवसर मिलता है।साथ ही नर्मदा पट्टी के समृद्ध इतिहास को जाना जा सकता है। अन्य पर्यटन स्थल हाथी महल, दरिया खान की मजार, राय का महल, राय की छोटी बहन का महल, मलिक मेघत की मस्जिद और जाली महल भी मांडू की तस्वीर कंधे तक हैं। ईको प्वाइंट भी पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है। लोहानीवीरों और उनके सामने स्थित सनसेट प्वाइंट भी पर्यटकों को खींचता है।
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मध्यप्रदेश में ऐसे कई जगहें हैं, जो किसी रहस्य से कम नहीं है। देखा जाए, तो इन स्थानों को देखने के लिए वे पर्यटक सबसे ज्यादा आते हैं। ऐसी ही एक जगह है मांडू नगरी।
mandaw etihasik |
बहुत सी ऐसी कई प्रेम कहानियां जो आज भी याद रखी जाती है :
विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में निवास मांडू को पहले शादियाबाद के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है खुशियों का नगर अंग्रेज तो अब यह भी सिटी ऑफ जाय के नाम से ही पुकारते हैं। मांडू में वास्तुकला की ऐसी बेजोड़ रचनाएं बिखरी पड़ी हैं, जो देश-दुनिया के लिए धरोहर हैं। इमारतें तब के शासकों की कलात्मक सोच, समृद्ध विरासत और शानो-शौकत का आईना है। मांडू को ऐसा अभय गढ़ भी माना जाता है जिसे शत्रु कभी भी नहीं पहचान पाते थे। राजपूत परमार शासक भी बाहरी आक्त्रमण से रक्षा के लिए मांडू को सुरक्षित किला मानते रहे।
यहाँ आने से कभी वंचित न रहे :
मुंबई-दिल्ली ट्रेक पर स्थित रतलाम रेलवे जंक्शन से भी यहाँ पहुंचने का सीधा रास्ता है। घुमावदार रास्तों से प्रवेशित पहाड़ी रास्तों से मांडू में प्रवेश करते ही विशाल दरवाजे स्वागत करते हैं। पाँच किमी। के दायरे में लगभग 12 प्रवेश द्वार निर्मित हैं। इन सुल्तान या दिल्ली दरवाजा प्रमुख माना जाता है। इसे मांडू का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। इसका निर्माण 1405 से 1407 के मध्य में हुआ था। इसके बाद आलमगीर दरवाजा, भगी दरवाजा, गाड़ी का दरवाजा, तारापुर दरवाजा दरवाजे आते हैं। काले पत्थरों से निर्मित इन दरवाजों के बीच से गुजरते हुए पर्यटक मांडू नगरी में प्रवेश करते हैं। इसके साथ हरियाली की चादर से ढंकी सुरम्य वादियों के बीच इतिहास की गवाह इमारतें एक के बाद एक सामने आती चली जाती हैं।) पर्यटन स्थल मांडू में कई प्रमुख स्थल हैं, लेकिन हर पर्यटक रानी रूपमती के महल जरूर जाता है। इसी महल के पास बाज बादल महल भी बना हुआ है। इसके अलावा, हिंडोला महल, जहाज महल, जामा मस्जिद, अशर्फी महल आदि स्थान प्रमुख हैं। मांडू का जैन तीर्थ भी ऐतिहासिक है। भगवान सुपार्श्वनाथ की पद्मासन मुद्रा में विराजित श्र्वेत वर्णी सुंदर प्राचीन प्रतिमा है। बताया जाता है कि 14 वीं शताब्दी में यह प्रतिमा की स्थापित की गई थी। मांडू में कई अन्य पुराने ऐतिहासिक महत्व के जैन मंदिर भी हैं, जिसके कारण यह जैन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थान है। रानी रूपमती का महल रानी रूपमती के महल मांडू की प्रमुख इमारतों में शामिल है। यहां आने वाले पर्यटक इस खूबसूरत इमारत को देखे बिना वापस नहीं लौटे। कहा जाता है कि 365 मीटर ऊंची खड़ी चट्टान पर स्थित इस महल का निर्माण बाजबहादुर ने रानी रूपमती के लिए इसलिए करवाया था, इसलिए वे सुबह उठने के बाद नर्मदा के दर्शन कर सकते हैं। रूपमती प्रतिदिन नर्मदा के दर्शन के बाद ही अन्ना-जल ग्रहण करती थीं। बादलों या कोहरे की वजह से कभी नर्मदा के दर्शन नहीं की स्थिति से सामना के लिए रूपमती महल में ही रेवा कुंड का निर्माण भी किया गया था, जिसमें नर्मदा का जल रहता था।
Mandaw paryatak sthan |
तैरता पानी में जहाज महल :
जहाज महल जहाज की आकृति में कपूर तालाब और मुंज तालाब के बीच बनी खूबसूरत इमारत है। इसका निर्माण 15 वीं शताब्दी में हुआ था। 100 मीटर से ज्यादा लंबाई वाली इस इमारत को दूर से देखने पर ऐसा आभास होता है मानों तालाब के बीच में कोई विशाल जहाज लंगर बनाया गया है। संभवत: इसीलिए इसे जहाज महल नाम मिला। माना जाता है कि जहाज महल में पानी के महत्व को भी तरजीह दी गई है। यहां ऐसी कई जल संरचनाओं के अवशेष आज भी मौजूद हैं, जो मांडू को जानना में अलग पहचान दिलाते हैं। होशंगशाह का मकबरा होशंगशाह का मकबरा भी इतिहास की धरोहरों में से एक है। यहां होशंगशाह की कब्र है, इसे भारत में मार्बल से निर्मित प्रथम कब्र माना जाता है। मकबरा अफगानी शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है। इसके गुंबज, बरामदे और मार्बल की जाली आदि की खूबसूरती को चार चांद लगाती हैं। यह देख लगता है कि मानो ताज महल की भावनाओं को बनाने की कोशिश की गई हो। अरशगशाह का मकबरा मुगल शासकों की विशेष इमारतों में शामिल है। हिंडोला महल हिंडोला महल भी मांडू के खूबसूरत महलों में से एक है। हिंडोला का अर्थ होता है झूला। इस महल की दीवारें कुछ झुकी होने से यह महल हवा में झुलता हिंडोला नजर आता है। हिंडोला महल का निर्माण ग्यासुद्दीन खिलजी ने 15 ईस्वी में सभा भवन के रूप में किया था। इसके सुंदर कॉलम इसे और भी खूबसूरती प्रदान करते हैं। इस महल के परिसर में प्राचीन चंपा बावड़ी है। इसका कलात्मक निर्माण देखते ही बनता है। इसमें नीचे उतरने के लिए व्यवस्थित रास्ता भी बनाया गया है। वैसे, अब नीचे जाने की इजाजत किसी को नहीं है। नीलकंठेश्र्वर महादेव और महल नीलकंठेश्र्वर महादेव मंदिर सुरम्य स्थान पर बना है। क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर बरबस खींच लेता है। शिवजी के मंदिर में पहुंचने के लिए कई सीढ़ी उतरकर पहुंचा जा सकता है। मंदिर के सौंदर्य को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। ऊपर वृक्षों से घिरे तालाब से जल की एक धारा नीचे मंदिर में शिवजी का अभिषेक करती रहती है।
भगवान राम की चर्तुभूज प्रतिमा भी मांडू में विराजित है जो दुर्लभ और महत्वपूर्ण मानी जाती है। मंदिर के समीप निर्मित इस महल का निर्माण शाह बदगा खान ने अकबर की हिंदू पत्ती के लिए करवाया था। इसकी दीवारों पर अकबर कालीन कला के नमूने देखे जा सकते हैं। डायनासोर पार्क कुछ साल पहले मांडू में डायनासोर पार्क भी बनाया गया है। यह देखना भी अनूठा अनुभव है। यहां करोड़ों साल पुराने डायनासोर के जीवाश्म देखे जा सकते हैं और उनका इतिहास समझने का अवसर मिलता है।साथ ही नर्मदा पट्टी के समृद्ध इतिहास को जाना जा सकता है। अन्य पर्यटन स्थल हाथी महल, दरिया खान की मजार, राय का महल, राय की छोटी बहन का महल, मलिक मेघत की मस्जिद और जाली महल भी मांडू की तस्वीर कंधे तक हैं। ईको प्वाइंट भी पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है। लोहानीवीरों और उनके सामने स्थित सनसेट प्वाइंट भी पर्यटकों को खींचता है।
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यशवंत शर्मा ( इंदौर)
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