Gyan Or Dharm

ज्योतिष, धर्म संसार, धार्मिक स्थान, धर्म दर्शन, ब्राह्मणो का विकास, व्रत और त्यौहार और भी अन्य जानकारी आपकी अपनी हिंदी भाषा में उपलब्ध है।

Business

Responsive Ads Here

Tuesday, July 30, 2019

शिव ज्योतिर्लिंग क्या है और ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई ।। AIBA ।।

शिव ज्योतिर्लिंग क्या है और ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई
जब आप ज्योतिर्लिंग शब्द को तोड़ते हैं तो पहले शब्द "ज्योति" बन जाता है "ज्योति" का अर्थ है "चमक" और "लिंग" भगवान शंकर के स्वरूप को प्रकट करता है। 
12 ज्योतिर्लिंग

          12 ज्योतिर्लिंग

ज्योतिर्लिंग का सिद्ध अर्थ भगवान शिव के प्रकाशवान दिव्य रूप से ही है। इन ज्योतिर्लिंग को शिव का अलग रूप माना जाता है। अब आप ये जरूर जानना चाहेंगे कि आखिरकार इन ज्योतिर्लिंग में क्या हैं और इन ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई। तो आइये  हम आपको बताते हैं कि ज्योतिर्लिंग का तात्पर्य  क्या होत हैं। दरअसल, ज्योतिर्लिंग स्वयंभू होते हैं, यानि की   ज्योतिर्लिंग स्वयं से प्रकट होते हैं। वैसे तो ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं, लेकिन शिव पुराण के अनुसार उस समय आकाश से ज्योति पिंड पृथ्वी पर गिरे और उनसे  पूरी पृथ्वी पर प्रकाश फैल गया था । और  इन्ही 12 पिंडों को 12 ज्योतिर्लिंग का नाम दे दिया गया है। इसके पीछे एक कहानी यह भी है कि ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति भगवान शंकर और भगवान ब्रह्मा के विवाद को निपटाने के लिए हुई थी।


क्या आप जानते है वह १२ ज्योतिर्लिंग कहा कहा पर स्थित है :
हिंदू धर्म में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का बहुत ज्यादा महत्व है। देश के 12 विभिन्न  विभिन्न स्थानों पर स्थित है भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग अपने देश की एकता एवं धर्म को  को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हिंदू धर्म के अनुसार जो व्यक्ति पूरे 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर ले, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके सभी संकट और बाधाएं दूर हो जाती है। लेकिन  जीवन में इन सभी 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन हर कोई नहीं कर पाता है, सिर्फ किस्मत वाले लोगों को ही इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। हिनू मान्यता में 12 ज्योतिर्लिंग कथा के अनुसार भगवान शिव शंकर ने जिन 12 स्थानों पर अवतार लेकर अपने भक्तों को दर्शन दिए उन स्थानों पर इन ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई।

यूं तो देश भर में लाखों शिव मंदिर और शिव धाम हैं लेकिन 12 ज्योतिर्लिंग का सबसे खास महत्व है। आइए जानते हैं विस्तार से ...

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारंममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥

एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति।
कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥:

जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात: इन ज्योतिर्लिंगों का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। जिस कामना की पूर्ति के लिए मनुष्य नित्य इन नामों का पाठ करता है, शीघ्र ही उस फल की प्राप्ति हो जाती है। इन लिंगों के दर्शन मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, यही भगवान शिव की विशेषता है।

तो चलिए जानते हैं कि 2 ज्योतिर्लिंग कहां कहां है और क्या है इनका महत्व।


1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात - (गुजरात)
ज्योतिर्लिंग सोमनाथ
ज्योतिर्लिंग सोमनाथ 
प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मन्दिर गुजरात के (सौराष्ट्र) प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र के अंतर्गत प्रभास में विराजमान हैं। इसी क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्णचन्द्र ने यदु वंश का संहार कराने के बाद अपनी नर लीला समाप्त कर ली थी। ‘जरा’ नामक व्याध (शिकारी) ने अपने बाणों से अपने चरणों (पैर) को भेद डाला था।

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्। 
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ।1।

क्या फल मिलता हैं-
मान्यता है कि सोमनाथ के इस मंत्र के साथ पूजन व दर्शन मात्र से व्यक्ति के कुष्ठ व क्षय रोग मिट जाते हैं और यहां के कुंड में छह माह तक स्नान करने से असाध्य रोग नष्ट होते हैं।


2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग- (आन्ध्र प्रदेश)
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 
आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से लोगों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है।

मल्लिकार्जुन मंदिर रोजाना सुबह 4:30 बजे से रात के 10 बजे तक खुला रहता है। भक्तों के लिए दर्शन करने का समय सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक रहता है। वहीं शाम को 6:30 बजे से 9 बजे तक यहां ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं।

श्रीशैलशृंगे विबुधातिसंगे तुलाद्रितुंगेऽपि मुदा वसन्तम्। 
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम्।2।

क्या फल मिलता हैं-
धर्मग्रन्थों में यह महिमा बताई गई है कि श्रीशैल शिखर के इस मंत्र के साथ दर्शन मात्र से मनुष्य सब कष्ट दूर हो जाते हैं और अपार सुख प्राप्त कर जनम-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है यानी मोक्ष प्राप्त होता है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग- (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
महाकालेश्वर  ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर  ज्योतिर्लिंग 
तृतीय ज्योतिर्लिंग महाकाल या ‘महाकालेश्वर’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान मध्य प्रदेश के उज्जैन में है, जिसे प्राचीन साहित्य में अवन्तिका पुरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान महाकालेश्वर का भव्य ज्योतिर्लिंग विद्यमान है।

महाकालेश्वर मंदिर सुबह 4 बजे से रात के 11 बजे तक खुला रहता है। पर्यटक सुबह 8 बजे से 10 बजे तक , फिर 10:30 से शाम के 5 बजे तक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद शाम 6 से 7 बजे तक और फिर रात 8 से 11 बजे तक यहां आखिरी दर्शन किए जा सकते हैं।

अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। 
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।3।

क्या फल मिलता हैं- 
भगवान महाकालेश्वर को भक्ति, शक्ति एवं मुक्ति का देव माना जाता है, इसलिए इस ज्योर्तिलिंग मंत्र के स्मरण व इनके दर्शन मात्र से सभी कामनाओं की पूर्ति एवं मोक्ष प्राप्ति होती है। काल भय भी नहीं सताता।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग- (मध्य प्रदेश)
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग 
मध्यप्रदेश में इंदौर के पास स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। 12 ज्योतिर्लिंग मै से मध्यप्रदेश मै 2 ज्योतिर्लिंग स्त्रीर है यहां नर्मदा नदी बहती है और नदी के बहने से पहाड़ी के चारों ओर ओम का आकार बनता है। यह ज्योर्तिलिंग असल में ओम का आकार लिए हुए है, यही वजह है कि इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। ओंकारेश्वर मंदिर का एक पौराणिक महत्व भी है। लोगों का मानना है कि एक बार देवता और दानवों के बीच युद्ध हुआ और देवताओं ने भगवान शिव से जीत की प्रार्थना की। प्रार्थना से संतुष्ट होकर भगवान शिव यहां ओंकारेश्वर के रूप में प्रकट हुए और देवताओं को बुराई पर जीत दिलाकर उनकी मदद की।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है। ओंकारेश्वर स्थान भी मालवा क्षेत्र में ही पड़ता है।

ओंकारेश्वर में दर्शन करने का समय सुबह 5 बजे से रात के 10 बजे तक होता है। सुबह के दर्शन आप सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:20 तक और शाम के दर्शन 4 से रात 8:30 बजे तक कर सकते हैं।

कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय। 
सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे।4।

क्या फल मिलता हैं- 
इस मंत्र के साथ ज्योतिर्लिंङ्ग के दर्शन मात्र से व्यक्ति सभी कामनाएं पूर्ण होती है। इसका उल्लेख ग्रंथों में भी मिलता है- शंकर का चौथा अवतार ओंकारनाथ है। यह भी भक्तों के समस्त इच्छाएं पूरी करते हैं और अंत में सद्गति प्रदान करते हैं।

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग- (उत्तराखंड)
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की चोटी पर विराजमान श्री ‘केदारनाथ’ जी का है। श्री केदारनाथ को ‘केदारेश्वर’ भी कहा जाता है, जो केदार नामक शिखर पर विराजमान है। इस शिखर से पूर्व  दिशा में अलकनन्दा नदी के किनारे भगवान श्री बद्री विशाल का मन्दिर है। जो कोई व्यक्ति बिना केदारनाथ भगवान का दर्शन किए यदि बद्रीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है, तो उसकी यात्रा निष्फल अर्थात व्यर्थ हो जाती है।

केदारनाथ में दर्शन करने के लिए मंदिर के पट सुबह 4 बजे खुल जाते हैं। यहां आप सबुह 4 से दोपहर 12 बजे तक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। वहीं दोपहर में 3 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन के लिए जाया जा सकता है।

महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। 
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे।11।

क्या फल मिलता हैं- 
केदारनाथ ज्योर्तिलिंग को कड़ा चढ़ाने की परंपरा है। इस मंत्र का स्मरण कर कड़ा चढ़ाने वाले व्यक्ति को दु:ख नहीं होता और मोक्ष की प्राप्ति होती है। केदारनाथ के दर्शन के बाद यहां का पानी पीने का भी महत्व है।

6. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग- (डाकिनी, महाराष्ट्र)
भीमशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमशंकर ज्योतिर्लिंग
इस ज्योतिर्लिंग का नाम ‘भीमशंकर’ है, जो डाकिनी पर अवस्थित है। यह स्थान महाराष्ट्र में मुम्बई से पूर्व तथा पूना से उत्तर की ओर स्थित है, जो भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं। भीमा नदी भी इसी पर्वत से निकलती है। भारतवर्ष में प्रकट हुए भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंग में श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का छठा स्थान हैं।

भीमाशंकर मंदिर प्रतिदिन सुबह 4:30 बजे से 12 बजे तक और शाम 4 बजे से 9:30 बजे तक खुला रहता है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सुबह 5 बजे से यहां दर्शन के लिए लंबी कतार लग जाती है। आरती भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के लिए दर्शन को 45 मिनट के लिए बंद कर दिया गया था।

यं डाकिनीशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च। 
सदैव भीमादिपदप्रसिद्धं तं शंकरं भक्तहितं नमामि।6।

क्या फल मिलता हैं- 
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंङ्ग के इस मंत्र के साथ दर्शन, स्मरण व पूजा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पवित्र नदी भी है। कहा जाता है कि भगवान जनार्दन ही इसमें जल के रूप में हैं।

7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग- (काशी, उत्तर प्रदेश)
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ, जो सातवें ज्योतिर्लिंग काशी में विराजमान हैं, सातवें ज्योतिर्लिंग होंगे। कहा जाता है कि काशी शिव के त्रिशूल पर स्थित तीन शहरों में से तीसरा शहर है। विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग काशी नगर, वाराणसी जिला, उत्तर प्रदेश में स्थित है। उन्हें आनंदवन, आनंदकानन, अविमुक्त क्षेत्र और काशी आदि नामों से जाना जाता है।
विश्वनाथ मंदिर का प्रवेश द्वार २.३० से रात ११ बजे तक खुला रहता है। सबसे पहले, सुबह 3 से शाम 4 बजे तक, एक मानव बीमारी है। उसके बाद, ज्योतिर्लिंग के दर्शन सुबह 4 बजे से 11 बजे के बीच शुरू होते हैं। उसके बाद सुबह 9:15 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक है, इसके बाद शाम 7:00 बजे तक ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। शाम की आरती 19h से 20h15 तक होती है, इसके बाद श्रृंगार आरती 21h से 22h15 और नींद की आरती 10:30 बजे से 11 बजे तक होती है।

सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम्। 
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।9।

क्या फल मिलता हैं- 
इस मंत्र के साथ विश्वेश्वर के दर्शन के बाद व्यक्ति को सुख, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है। कहते हैं कि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग को स्पर्श यानी छूने भर से ही राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। पंचामृत आदि से पूजा करने वाले व्यक्ति को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है, जो दर्शनार्थी उपवास करके ब्राह्मïणों को संतुष्टï करता है उसे सौत्रामणि यज्ञ का फल मिलता है। नारद पुराण के मुताबिक दर्शन के बाद ब्राह्मण को दान देने से व्यक्ति की उन्नति होती है। शिव पुराण में उल्लेख है यह ज्योतिर्लिङ्ग मुक्ति और भुक्ति यानी शिव भक्तों को सभी तरह के सुख-समृद्धि मिलती है। उनके पावन नाम का जप करने वाले भक्त कर्म बंधन से छूटकर मोक्ष पद के अधिकारी हो जाते हैं।

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग- (नासिक, महाराष्ट्र)

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
अष्टम ज्योतिर्लिंग को "त्र्यंबक" के नाम से भी जाना जाता है। यह नासिक जिले के पंचवटी से लगभग 18 मील की दूरी पर है। यह मंदिर ब्रह्मगिरि के पास गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। इसे त्रिंबक ज्योतिर्लिंग, शिम्बा त्र्यंबकेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। गोदावरी नदी यहां ब्रह्मगिरि नामक पर्वत से निकलती है। जिस प्रकार उत्तर भारत में बहने वाली पवित्र गंगा नदी का विशेष आध्यात्मिक महत्व है, उसी प्रकार दक्षिण में बहने वाली पवित्र गोदावरी नदी भी है।

त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में आप सुबह 5:30 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। यहां आम दिनों में ज्योतिर्लिंग के दर्शन जल्दी हो जाते हैं, लेकिन शिवरात्रि और सावन के महीने में ज्योतिर्लिंग के दर्शन पांच से छह घंटे में ही हो पाते हैं। इसलिए अगर सावन और शिवरात्रि के दौरान आप त्रयंबकेश्वर जाएं तो जल्द सुबह लाईन में लग जाएं, दर्शन जल्दी हो जाएंगे।

सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरीतीरपवित्रदेशे। 
यद्दर्शनात् पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्रयम्बकमीशमीडे।10।

क्या फल मिलता हैं-
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग के इस मंत्र स्मरण के साथ दर्शन और उनको स्पर्श करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्यक्ति को मोक्षपद प्राप्त होता है । इनका पूजन करने वालों को लोक-परलोक में सदा आनन्द रहता है ।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग- (झारखण्ड)
 वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
 वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
नौवाँ ज्योतिर्लिंग 'वैद्यनाथ' है। यह स्थान झारखंड प्रांत के संथाल परगना में जसीडीह ट्रेन स्टेशन के पास है। इस स्थान को पुराण में चित्रभूमि कहा जाता है। वह स्थान जहाँ भगवान वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के मंदिर को 'वैद्यनाथ धाम' कहा जाता है।

वैद्यनाथ मंदिर दर्शन के लिए सुबह 4 बजे से 3:30 बजे तक खुला रहता है। वहीं, ज्योतिर्लिंग को सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक देखा जा सकता है। शिवरात्रि के समय, मंदिर में दर्शन का समय बदल गया था।

पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम्। 
सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि।5।

क्या फल मिलता हैं- 
वैद्यनाथ न केवल कुष्ठï रोग से लोगों को मुक्त करते हैं बल्कि वे सभी रोगों को दूर करते हैं। इसी कारण बुरा व्यक्ति भी इनके दर्शन से अच्छा बनने लगता है। उसमें आध्यात्मिक गुणों का विकास होने लगता है और सद्गति प्राप्त होती है। ये वैद्य से भी बढक़र हैं। संभवत: इसी कारण इनका नाम वैद्यनाथ पड़ा।

10. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग- (तमिलनाडु)
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
दशम ज्योतिर्लिंग ‘रामेश्वर’ हैं। रामेश्वरतीर्थ को ही सेतुबन्ध तीर्थ कहा जाता है। यह स्थान तमिलनाडु के रामनाथम जनपद में स्थित है। यहां समुद्र के किनारे भगवान रामेश्वरम का विशाल मन्दिर शोभित है। यह हिंदुओं के चार धामों में से एक धाम है। यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम ज़िले में स्थित है। मन्नार की खाड़ी में स्थित द्वीप जहां भगवान् राम का लोकप्रसिद्ध विशाल मंदिर है।

मंदिर में दर्शन करने का समय सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक होता है। इस मंदिर में आप रात 8 बजे तक ही दर्शन कर सकते हैं।

सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यै:। 
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि।7।

क्या फल मिलता हैं- 
इस मंत्र के साथ ज्योतिर्लिंग दर्शन, स्मरण व पूजा कर गंगाजल चढ़ाने वाले के सभी दु:ख दूर होते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि दूध, दही और नारियल के जल से ज्योतिर्लिङ्ग को स्नान कराने वाले व्यक्ति की कई पीढिय़ों का उद्धार होता है।

11. घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग- (महाराष्ट्र)
घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
एकादश ज्योतिर्लिंग 'घृष्णेश्वर' है। यह स्थान महाराष्ट्र क्षेत्र में दौलताबाद से लगभग अठारह किलोमीटर दूर भेरुलथ गाँव के पास है। इस स्थान को 'शिवालय' भी कहा जाता है। लोग घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर भी कहलाते हैं। फोर्ट दौलताबाद दक्षिण से एक पहाड़ की चोटी पर है, जो घृष्णेश्वर से लगभग आठ किलोमीटर दूर है।

घृष्णेश्वर मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए सुबह 5:30 बजे से रात 9 बजे के बीच जाएं। सावन के महीने में यहां दर्शन सुबह 3 बजे से शुरू होकर सुबह 11 बजे तक होते हैं। आमतौर पर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने में दो घंटे का समय लगता है, लेकिन सावन के महीने में यहां विशाल पैदल यात्राएं होती हैं और दर्शन करने में पूरे 6 से 8 घंटे का समय लगता है।

इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम्। 
वन्दे महोदारतरं स्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणं प्रपद्ये ।12। 
ज्योतिर्मयद्वादशलिंगकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण। 
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च॥

क्या फल मिलता हैं-
घुश्मेश्वर के दर्शन व पूजन से व्यक्ति के सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और उसका जीवन सुखमय हो जाता है। साथ ही सारे पाप नष्ट होते हैं।

12. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - (गुजरात)
नागेश्वर ज्योतिलिंग
नागेश्वर ज्योतिलिंग 

 नागेश नामक ज्योतिर्लिंग जो गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है। इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है। कुछ लोग दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं, तो कुछ लोग उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा ज़िले में स्थित जागेश्वर शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग कहते हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात जंक्शन के द्वारकापुरी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर अवगत है।

नागेश्वर मंदिर के पट हर सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुले रहते हैं। भक्त सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम को 5 से रात 9 बजे तक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। गृभग्रह में बने इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से पहले पुरूषों को दूसरे वस्त्र धारण करने पड़ते हैं, जो उन्हें मंदिर में ही उपलब्ध कराए जाते हैं।

याम्ये सदंगे नगरेतिऽरम्ये विभूषितांगम् विविधैश्च भोगै:। 
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये।8।

क्या फल मिलता हैं- 
इस मंत्र के साथ नागेश ज्योतिर्लिंङ्ग के दर्शन व पूजन से तीनों लोकों की कामनाएं पूरी होती हैं। इसका उल्लेख शिवपुराण में भी है। कि ऐसा करने से सभी दु:ख दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि मिलती है। केवल दर्शन मात्र से ही पापों से छुटकारा मिल जाता है।



डिजिटल ब्राह्मण समाज में जुड़े आल इंडिया ब्राह्मण समाज की ऐप के माध्यम से |
ऐप लिंक :- Digital brahmin samaj


आल इंडिया ब्राह्मण एसोसिएशन (AIBA)
यशवंत शर्मा  ( इंदौर)
+918770294371
(AIBA) All india Brahmin Association























No comments:

Post a Comment